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Shani Upasana Yantra shani maharaj ki jai. Sai darshan sansthan is very trust full sansthan in astro . Our shree shani upasana yantra is yery use full in life. In this box 7 items in this pack. Shani Yantra/ Saturn Yantra is used to pacify an afflicted Shani/Saturn and achieve Rajayoga through complete blessings of Shani. Transit or causes Sadesati, use of Shani Yantra is very Beneficial. Shani Yantra/Saturn Yantra is useful, when one feels depressed. It indicates success in worldly affairs, success in business and the man touches the dizzy heights. Shani Yantra/Saturn Yantra is embossed on copper plate and is kept on rising moon Saturday. We provide Yantras that are Energized (Pran Pratishta) by learned Purohits, by reciting the Vedic mantra of the particular Devi or Deva along with the Homa done.
On this day, the idol appears blue in colour. Five days of 'yadnya' and seven days of 'bhajan- pravachan and 'kirtan' are held in the sweltering heat of May. On this day, the resident priest (pandit) is called and along with 11 Brahmin pandits, the 'Laghurudraabhishek is performed. This goes on for a total of 12 hours. In the end, with the 'Maha Puja',the function comes to an end.
भूमिका - The role
मनुष्य के जीवन में सुख दु:ख ओतप्रोत है | लेकीन वह सारा रहस्यमय बना हुवा है | अत: सुर्ष्टी के इस चराचर बन्धन में जोतिष शास्त्र तथा अध्यात्म का अपना बडप्पन है |कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के युग में भारतीय ज्योतीषाचार्या ने जो कुछ कहा, उसके प्रयोग पाश्चात्य राष्ट्रो में संपन्न हो रहे है | आज आमरिका में भारतीय अध्यात्म तथाजोतिष कि धूम माची हुई है | इस भागदौड के युग में मनुष्य को शांती नही मिल रही है | आज हमारा जीवन भौतिक समृद्धी होते हुए भी कलह, तणाव, बिमारी, घातपात,शक, दुश्चिता आदी से भर पडा है | हमारे चारो ओर हाहाकार सुनाई दे रहा है ! न सब से उब कर आदमी शनी के सानिध्य में जाने कि कोशिश कर रहा है ; क्यौ ?
श्री शनिदेव के संदर्भ में भारतवर्ष में जैसे पौराणिक आख्यान प्रसिद्ध है ; वैसे युरोपीय साहित्य में भी शनी के बारे में विविध कथा पढने को मिलती है | इटली में शनी कोसेटर्न (saturn) देवता कहकर सम्मान करते है, पूजा करते है | प्राचीन तथा अर्वाचीन रोमक प्रस्तुत सेटर्न एवं शनी को ग्रीस के लोग पौराणिक देवता क्रोनास (cronus)संबोधन करते है | सेटर्न या क्रोनास के बारे में विदेशो में विपुल कथा तथा चमत्कार है | हमारी हि जैसी स्थिती वहा भी है, इसलीए ' वसुधैव कुटुम्बकम ' कहा गया है |
In India, just as with reference to God Shani, the ancient legends are famous, similarly, in European literature various stories abound. In Italy, God Shani is revered and worshipped as Saturn. Ancient Romans and the Greeks know and revere him as Cronus. Saturn or Cronus have a lot of stories and miracles popular about him. They also have situations like us, so it is called as 'Vasudhaiva Kutumbakam'.
Just as material progress is increasing, restlessness is increasing in life. Therefore, as much as our actions (Karma) are pure and better, that much will we experience the better fruits of our actions. This is a permanent truth that our bodies are made up of five elements. So we are influenced by these elements. And these planets control our lives.
At Shanishingnapur, because of the holy atmosphere there, there have been many fortunate Divine appearances of God Shani himself. I am a devotee of God Shani. I do regularly offer my prayers and observe fasting. It is from God Shani's divine direction, that I wrote this book. In this book related to God Shani, there are stories, the history, its place in Shanishingnapur and the world. Also, the truth of the self-appeared statue and its direction, the importance of Sade Saathi and its cures and the special aspects of God Shani. Also, the worship of God Shani and how it should be done in terms of one's planetary chart. The festival of God Shani shows surprisingly peaceful aspects of the 'Devalaya' and 'Mannat' that devotees pray. For example, how Shanishingnapur's importance reveals itself and its fame the world over. Also, Udasi Baba, Bhavu Banakar and other important notices are there in this book. Please read it and experience its usefulness."
श्री शनिदेव का संक्षिप्त परिचय - A brief introduction
1) | श्री शनिदेव के पिताजी | - | श्री सूर्य नारायण |
2) | मातोश्री | - | छायादेवी-सुवर्णा |
3) | भाई | - | यमराज |
4) | बहन | - | यमुना देवी |
5) | गुरु | - | शिव शंकर |
6) | जन्मस्थल | - | सौरसष्ट्र,गुजरात |
7) | गोत्र | - | क'यप |
8) | रंग | - | सावला |
9) | स्वभाव | - | त्यागी,तपस्वी दृष्टी,गुस्सेल,गंभीर,स्पष्ट्भाषी, एकान्त,न्यायप्रिय आदी. |
10) | दोस्त | - | हनुमान,कालभैरव,बालाजी. |
11) | विपुल नाम | - | छायासुत,सूर्यपुत्र,कोणस्थ,पिंगलो,बभ्रू,रौद्रातक,सौरी,शनैश्चर,कृष्ण्मंद,कृष्णौ आदी. |
12) | दोस्त ग्रह | - | गुरु,शुक्र,राहू,बुध. |
13) | दोस्त राशी | - | वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला. |
14) | प्रिय राशी | - | मकर, कुंभ. |
15) | प्रिय नक्षत्र | - | पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद. |
16) | शनी कि उच्च राशी | - | तुला. |
17) | नीच राशी | - | मेष. |
18) | शनी का क्षेत्र | - | पेट्रोलियम, लौह, इस्पात, उद्योग, प्रेस, मेडीकल, कारखाना, कोयला, चमडा, न्यायालय, ट्रानस्पोर्ट आदी. |
1) | The father of God Shani | - | God Sun. |
2) | The mother of God Shani | - | Chaya Devi-Suvarna. |
3) | The brother of God Shani | - | Yamaraj. |
4) | The sister of God Shani | - | Yamunadevi. |
5) | The guru of God Shani | - | God Shiva. |
6) | The place of birth | - | Saurashtra, Gujarat. |
7) | Gotra | - | Kashyap. |
8) | Colour | - | Dark. |
9) | Nature | - | Sacrificing, worshipping-gaze,angry, serious, |
10) | Friend | - | Hanuman, Kaala Bhairav, Balaji. |
11) | Other names | - | Chayasuta, Suryaputra, Kokanastha, |
12) | Friendly planet | - | Jupiter, Venus, Rahu and Mercury. |
13) | Friendly Rasi | - | Gemini, Virgo, Libra and Taurus. |
14) | Dear Rasi | - | Sagittarius and Capricorn. |
15) | Dear Star | - | Pushya, Anuradha, Uttara, Bhadrapada. |
16) | The high Rasi of God Shani | - | Libra |
17) | The low Rasi of God Shani | - | Aries. |
18) | The area of God Shani | - | Petroleum, iron, steel, business, press, |
शनिकथा तथा इतिहास
हमारे दैनंदिन जीवन में तेजपुंज तथा शक्तिशाली शनि का अदभुत महत्व है | वैसे शनि सौर जगत के नौ ग्रहों में से सातवा ग्रह है; जिसे फलित ज्योतिष में अशुभ माना जाता है | आधुनिक खगोल शास्त्र के अनुसार शनिकी धरती से दुरी लगभग नौ करोड मील है | इसका व्यास एक अरब बयालीस करोड साठ लाख किलोमीटर है तथा इसकी गुरुत्व शक्ति धरती से पंचानवे गुना अधिक है | शनि को सूरज की परिक्रमा करने पर उन्नीसवर्ष लगते है | अंतरिक्ष में शनि सधन नील आभा से खूबसूरत , बलवान , प्रभावी , दृष्टिगोचर है, जिसे २२ उपग्रह है |
शनि का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी से अधिकतम है | अत: जब हम कोई भी विचार मन में लाते है , योजना बनाते है, तो वह प्रत्सावित अच्छी - बुरी योजना चुंबकीय आकर्षन से शनि तक पहुँचती है और अच्छे कापरिणाम अच्छा जब की बुरे का बुरा परिणाम जल्द दे देती है | बुरे प्रभाव को फलज्योतिष में अशुभ माना गया है | लेकिन अच्छे का परिणाम अच्छा होता है अत: हम शनि को शत्रु नहीं मित्र समझे और बुरे कर्मो के लिएवह साडेसाती है, आफत है ; शत्रु है |
शनिदेव की जन्म गाथा या उत्पति के संदर्भ में अलग - अलग कथा है | सबसे अधिक प्रचलित शनि उत्पति की गाथा स्कंध पुराण के काशीखण्ड में इस प्रकार प्रस्तुत
सूर्यदेवता का ब्याह दक्ष कन्या संज्ञा के साथ हुआ | संज्ञा सूर्यदेवता का अत्याधिक तेज सह नहीं पाती थी | उन्हें लगता था की मुझे तपस्या करके अपने तेज को बढ़ाना होगा या तपोबल से सूर्य की अग्नि को कम करनाहोगा; लेकिन सूर्य के लिए वो पतिव्रता नारी थी | सूर्य के द्वारा संज्ञा के गर्भ से तीन संतानों का जन्म हुआ - १. वैवस्वत मनु २. यमराज ३. यमुना. संज्ञा बच्चों से बहुत प्यार करती थी; मगर सूर्य की तेजस्विता के कारणबहुत परेशान रहती थी | एक दिन संज्ञा ने सोचा कि सूर्य से अलग होकर मै अपने मायके जाकर घोर तपस्या करूंगी; और यदि विरोध हुआ&